Ganesh Visarjan 2022: गणेश विसर्जन करने की क्या है सही विधि?

 हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को बुद्धि, विवेक और समृद्धि का देवता माना जाता है. हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश जी का संबंध बुध ग्रह से है. ऐसा माना जाता है कि अगर गणपति महाराज की आराधना सच्चे हृदय से की जाए तो उनकी कृपा से सारे ग्रह शांत हो जाते हैं. इसके साथ गणेश जी की पूजा से सभी प्रकार के वास्तु दोष भी दूर हो जाते हैं.



अनंत चतुर्दशी का व्रत पूरे भारत में रखा जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाएगी. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस भी कहा जाता है. साथ ही अनंत चौदस के दिन गणेश विसर्जन किया जाता है. यानी गणेशोत्सव जो कि दस दिन तक चलता है, वह अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है.

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Subh muhurt of ganesh visarjan 2022)

अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति बप्पा को विदाई भी दी जाएगी. अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का विसर्जन करने से पुण्य फल मिलता है. तो आइए अब इस दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त भी जान लीजिए.



अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त (Anant Chaturdashi 2022 Puja Subh muhurt)

अनंत चतुर्दशी पर पूजा का मुहुर्त 9 सितंबर 2022 को सुबह 06.25 बजे से शाम 06:07 तक रहेगा. यानी पूजा के लिए पूरे 11 घंटे और 42 मिनट होंगे. वहीं अगर चतुर्दशी तिथि की बात की जाए तो वह 8 सितंबर को सुबह 9.02 से शुरू होगी और 9 सितंबर 2022 को शाम 6:07 बजे तक रहेगी. 

गणपति महाराज की पूजा के दौरान रखें ये सावधानियां

गणपति महाराज की पूजा के दौरान तुलसी का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें. पूजा में गणपति की ऐसी प्रतिमा का प्रयोग करें, जिसमें गणपति भगवान की सूंड बाएं हाथ की ओर घूमी हो. गणेश जी को मोदक और मूषक प्रिय हैं, इसलिए ऐसी मूर्ति की पूजा करें जिसमें मोदक और मूषक दोनों हों. 



इस दौरान गणेश जी को भव्य रूप से सजाकर उनकी पूजा की जाती है. अंतिम दिन गणेश जी की ढोल-नगाड़ों के साथ झांकियाँ निकालकर उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है. हिन्दू पूजा पद्धति का विधान ये है कि सभी देवी-देवताओं से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. पूजा के अलावा सभी शुभ कार्यों से पहले लम्बोदर को ही स्मरण किया जाता है. गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी का जन्म हुआ था. गणपति महाराज देवों के देव महादेव शिव जी और मां गौरी पार्वती के पुत्र हैं. 

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