कबीर दास का जीवन परिचय Kabir Das Ka jivan Parichay Hindi

 

कबीर दास का जीवन परिचय | Kabir Das Biography in Hindi

संत कबीर दास

 
 Hello all students आज हम जानने वाले हैं, हिंदी के एक महान सुप्रसिद्ध कवि कबीर दास के बारे में।
कबीर दास ने अनेक प्रकार की कृतियां लिखी। इसके साथ ही उनके दोहे सुनते और पढ़ते हैं

कबीर दास की जीवनी | Kabir Das biography in Hindi

कबीरदास का जन्म 1398 ईसवी में हुआ था इनका पालन-पोषण नीरू तथा नीमा नामक दंपत्ति ने किया था उनके गुरु का नाम रामानंद था इनका विवाह लोही नामक स्त्री से हुआ था उन्होंने अपना सारा जीवन मानव मूल्य में व्यतीत किया
कबीर दास जी हमारे भारत के महान कवि हैं इन्होंने भक्ति काल में जन्म लिया और कई अद्भुत प्रकार की रचनाएं लिखी


कबीर जी की कविताएं :

  • तेरा मेरा मनुवां
  • बहुरि नहिं आवना या देस
  • बीत गये दिन भजन बिना रे
  • नैया पड़ी मंझधार गुरु बिन कैसे लागे पार
  • राम बिनु तन को ताप न जाई
  • करम गति टारै नाहिं टरी
  • भजो रे भैया राम गोविंद हरी
  • दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ
  • झीनी झीनी बीनी चदरिया
  • केहि समुझावौ सब जग अन्धा
  • काहे री नलिनी तू कुमिलानी
  • मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै
  • रहना नहिं देस बिराना है
  • कबीर की साखियाँ
  • हमन है इश्क मस्ताना
  • कबीर के पद
  • नीति के दोहे
  • मोको कहां
  • साधो, देखो जग बौराना
  • सहज मिले अविनासी
  • तूने रात गँवायी सोय के दिवस गँवाया खाय के
  • बेसास का अंग
  • सूरातन का अंग
  • जीवन-मृतक का अंग
  • सम्रथाई का अंग
  • उपदेश का अंग
  • कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
  • मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया
  • अंखियां तो छाई परी
  • माया महा ठगनी हम जानी
  • सुपने में सांइ मिले
  • मोको कहां ढूँढे रे बन्दे
  • अवधूता युगन युगन हम योगी
  • साधो ये मुरदों का गांव
  • मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा

कबीर दास की मृत्यु |

काशी के निकट मगहर में अपने प्राण त्याग दिए। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद उनके शव को लेकर भी विवाद उत्पन्न हो गया था हिंदू कहते हैं कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति से होना चाहिए और मुस्लिम कहते थे कि मुस्लिम रीति से।
इसी विवाद के चलते जब उनके शव से चादर हट गई तब लोगों ने वहां फूलों का ढेर पड़ा देखा और बाद में वहां से आधे फुल हिंदुओं ने उठाया और आधे फूल मुसलमानों ने।

मुसलमानों ने मुस्लिम रीति से और हिंदुओं ने हिंदू रीती से उन फूलों का अंतिम संस्कार किया। मगहर में कबीर की समाधि है उनके जन्म की तरह ही उनकी मृत्यु तिथि एवं घटना को भी लेकर मतभेद है।

किंतु अधिकतर विद्वान उनकी मृत्यु संवत् 1575 विक्रमी (सन 1518 ई०) को मानते हैं, लेकिन बाद में कुछ इतिहासकार उनकी मृत्यु को 1448 को मानते हैं।

Kabir Das Short Biography in Hindi

 नाम संत कबीरदास (Sant KabirDas)
 जन्म1398 ई०
 जन्म स्थानलहरतारा ताल, काशी
 नागरिकता भारतीय
 माता का नाम नीमा
पिता का नामनीरू
पत्नी का नाम लोई
पुत्र का नाम कमाल
पुत्री का नाम कमाली
मृत्यु1518 ई०
मृत्यु स्थानमगहर (उत्तर प्रदेश)
कर्मभूमिकाशी, बनारस
कार्यक्षेत्रकवि, समाज सुधारक, सूत काटकर कपड़ा बनाना
मुख्य रचनाएंरमैनी, साखी, सबद
 भाषा अवधी, सधुक्कड़ी, पंचमेल खिचड़ी
 शिक्षा निरक्षर






कबीर दास के  | Kabir Das ke Dohe

उनके दोहे को सुनकर उसे आप अपने जीवन में लागू करते हैं तो आपको अवश्य ही मन की शांति के साथ ईश्वर की प्राप्ति होगी।

दोहे

जाता है सो जाण दे, तेरी दसा न जाइ।
खेवटिया की नांव ज्यूं, घने मिलेंगे आइ॥

मान, महातम, प्रेम रस, गरवा तण गुण नेह।
ए सबही अहला गया, जबहीं कह्या कुछ देह॥

कबीर प्रेम न चक्खिया,चक्खि न लिया साव।
सूने घर का पाहुना, ज्यूं आया त्यूं जाव॥

इक दिन ऐसा होइगा, सब सूं पड़े बिछोह।
राजा राणा छत्रपति, सावधान किन होय॥

झिरमिर- झिरमिर बरसिया, पाहन ऊपर मेंह।
माटी गलि सैजल भई, पांहन बोही तेह॥

कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि ।
नंगे हाथूं ते गए जिनके लाख करोडि॥

कबीर मंदिर लाख का, जडियां हीरे लालि ।
दिवस चारि का पेषणा, बिनस जाएगा कालि ॥

मनहिं मनोरथ छांडी दे, तेरा किया न होइ ।
पाणी मैं घीव नीकसै, तो रूखा खाई न कोइ ॥

करता था तो क्यूं रहया, जब करि क्यूं पछिताय ।
बोये पेड़ बबूल का, अम्ब कहाँ ते खाय ॥

मन जाणे सब बात जांणत ही औगुन करै ।
काहे की कुसलात कर दीपक कूंवै पड़े ॥

हिरदा भीतर आरसी मुख देखा नहीं जाई ।
मुख तो तौ परि देखिए जे मन की दुविधा जाई ॥

कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार ।
हलके हलके तिरि गए बूड़े तिनि सर भार॥

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

झूठे को झूठा मिले, दूंणा बंधे सनेह
झूठे को साँचा मिले तब ही टूटे नेह ॥

कबीर सो धन संचिए जो आगे कूं होइ।
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्या कोइ ॥

माया मुई न मन मुवा, मरि मरि गया सरीर ।
आसा त्रिष्णा णा मुई यों कहि गया कबीर ॥

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।



Q/A 
Q1: कबीर दास ने किस भाषा में लिखा था?
Ans :
 कबीर की कृतियाँ हिन्दी भाषा में लिखी गईं थी जिन्हें समझना आसान था। वह लोगों को जागरूक करने के लिए दोहों में लिखते थे।

Q 2 : दास जी का जन्म कब हुआ था?
Ans :
 कबीर दास  का जन्म 1398 ई० में हुआ था।

Q 3 : कबीर के माता पिता एवं गुरु का नाम बताइए?
Ans :
 कबीर की माता का नाम नीमा और पिता का नाम नीरू था।

Q 4 : कबीर जी किसकी भक्ति करते थे?
Ans :
 कबीर दास निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे वे एक ही ईश्वर को मानते थे वे अंधविश्वास, धर्म व पूजा के नाम पर होने वाले आडंबरों के विरोधी थे।

Q 5: कबीर के प्रमुख ग्रंथों के नाम बताइए?
Ans :
 कबीर के प्रमुख ग्रंथों के नाम बीजक, कबीर ग्रंथावली, सखी ग्रंथ और अनुराग सागर आदि हैं।

Q  6 : कबीर दास के कितने गुरु थे?
Ans :
 कबीर दास ने अपना एकमात्र गुरु स्वामी रामानंद जी को बनाया था।

Q 7 : कबीर दास जी की मृत्यु?
Ans :
 Kabir Das ने काशी के निकट मगहर में अपने प्राण त्याग दिए।


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